प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले का निधन भारतीय विज्ञान के लिए एक बड़ी क्षति

Photo of author

By ry132222@gmail.com

भारत के वैज्ञानिक जगत में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नाम है – प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले। भारतीय कण भौतिकी में उन्होंने जो योगदान दिया, वह न केवल विज्ञान के क्षेत्र में अहम था, बल्कि उन्होंने विज्ञान में महिलाओं के लिए भी एक मिसाल कायम की। उनके निधन के साथ न केवल भारतीय विज्ञान जगत बल्कि विश्व ने भी एक अद्वितीय वैज्ञानिक खो दिया है।

आरंभिक जीवन और शिक्षा

रोहिणी गोडबोले का जन्म 1952 में पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। बचपन से ही उनमें विज्ञान के प्रति एक गहरी रुचि थी। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनकी विज्ञान के प्रति रुचि और कड़ी मेहनत ने उन्हें आईआईटी बॉम्बे तक पहुंचाया, जहां उन्होंने एमएससी की और यहां से उन्होंने रजत पदक भी प्राप्त किया। उनकी यह उपलब्धि उनकी योग्यता और समर्पण का प्रमाण है।

इसके बाद, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख किया और 1979 में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क, स्टोनी ब्रुक से अपनी पीएचडी पूरी की। इस तरह, उनकी यात्रा भारत से अमेरिका और फिर वापस भारत के वैज्ञानिक जगत में कदम रखने की थी।

प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले का सफर

करियर की शुरुआत और IISc का सफर

अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद, प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले ने बॉम्बे विश्वविद्यालय में बतौर संकाय सदस्य अपनी सेवा दी। लेकिन उनका प्रमुख योगदान तब सामने आया जब वे 1995 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में शामिल हुईं। यहां उन्होंने 2018 तक एक प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवा दी और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण शोध कार्य किए।

उनकी विशेषज्ञता कोलाइडर फिजिक्स (Collider Physics) में थी, खासकर हिग्स और टॉप क्वार्क के अध्ययन में। उनका प्रमुख योगदान इस क्षेत्र में भविष्य के कोलाइडर, जैसे कि इंटरनेशनल लीनियर कोलाइडर (ILC), की दिशा में रहा। इसके अलावा, प्रोफेसर गोडबोले की गहरी रुचि और ज्ञान उन्हें सीईआरएन (CERN) के सिद्धांत विभाग में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भी लेकर गया, जहां उन्होंने वैज्ञानिक सहयोगी के रूप में काम किया।

विज्ञान में महिलाओं की चैंपियन

वैज्ञानिक के रूप में उनकी पहचान न केवल उनके शोध और खोजों के कारण थी, बल्कि एक प्रेरणादायक महिला के रूप में भी थी, जिन्होंने विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया। प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि महिलाओं को विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर मिलें। वह एक सशक्त आवाज थीं जो यह मानती थीं कि विज्ञान में लिंग-भेद को समाप्त करना अति आवश्यक है।

उनका मानना था कि विज्ञान और तकनीक में महिलाओं का योगदान समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने जीवन में कई बार कहा, “महिलाओं को विज्ञान में केवल इसलिए कम आंकना अनुचित है, क्योंकि वे महिलाएं हैं।” प्रोफेसर गोडबोले की यही सोच उन्हें एक सच्ची “वुमन इन साइंस चैंपियन” बनाती है।

विद्यार्थियों का मार्गदर्शन और शोध का प्रभाव

अपने करियर के दौरान, प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले ने 14 से अधिक पीएचडी छात्रों, तीन एमफिल छात्रों और पांच मास्टर छात्रों का मार्गदर्शन किया। उनकी शिक्षण शैली और मार्गदर्शन के तरीके ने न जाने कितने वैज्ञानिकों को प्रेरित किया। उनके अधिकांश छात्र आज भारत और विदेशों में प्रतिष्ठित संस्थानों में फैकल्टी के रूप में स्थापित हैं।

IISc के नोट में भी उनके आखिरी छात्र का उल्लेख किया गया है, जिसने अगस्त में अपनी थीसिस जमा की थी। यह दिखाता है कि अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी, प्रोफेसर गोडबोले ने शोध और मार्गदर्शन से खुद को दूर नहीं किया। उनका यह समर्पण एक असली वैज्ञानिक की पहचान है।

पुरस्कार और सम्मान

प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले को उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके शोध कार्यों के लिए था, बल्कि उनके योगदान के लिए भी था, जिसने भारतीय विज्ञान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इसके अलावा, उन्हें फ्रांस सरकार से ‘ऑर्ड्रे नेशनल डू मेरिट’ से भी सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उनके अंतरराष्ट्रीय ख्याति का प्रतीक है।

प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले को उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

रोहिणी गोडबोले: एक महान वैज्ञानिक और व्यक्तित्व

IISc ने अपने शोक नोट में उन्हें एक महान वैज्ञानिक के साथ-साथ एक महान नेता, मार्गदर्शक और मित्र भी कहा। यह सही मायनों में उनके व्यक्तित्व का सटीक वर्णन है। एक वैज्ञानिक के रूप में, उन्होंने हमेशा नई चुनौतियों को अपनाया और भारतीय विज्ञान को एक वैश्विक पहचान दिलाई।

उनका व्यक्तित्व केवल एक वैज्ञानिक तक सीमित नहीं था। वह एक उत्साही और प्रेरणादायक मार्गदर्शक थीं, रोहिणी गोडबोले ने अपने साथियों और विद्यार्थियों को हमेशा प्रोत्साहित किया। उनके साथ काम करने वाले वैज्ञानिक उन्हें एक सहकर्मी और मित्र के रूप में याद करते हैं, जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती थीं।

प्रोफेसर गोडबोले का विरासत

रोहिणी गोडबोले के निधन से विज्ञान जगत को जो नुकसान हुआ है, वह अकल्पनीय है। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और आने वाले युवा वैज्ञानिकों के लिए उनका जीवन एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा। प्रोफेसर गोडबोले ने जो राह दिखाई है, उस पर चलकर कई नए वैज्ञानिक अपनी पहचान बनाएंगे।

उनका जीवन एक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण से न केवल अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है, बल्कि समाज के अन्य हिस्सों को भी प्रेरित कर सकता है। कण भौतिकी में उनका योगदान, भविष्य के कोलाइडरों के लिए उनकी सोच और विज्ञान में महिलाओं के प्रति उनका समर्पण – ये सभी उनकी विरासत का हिस्सा हैं।

अंत में…

प्रोफेसर रोहिणी गोडबोले का निधन भारतीय विज्ञान के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी कमी हमेशा खलेगी, लेकिन उनकी उपलब्धियां और योगदान हमेशा याद रखे जाएंगे। उन्होंने विज्ञान को जो ऊंचाई दी और जिस तरह से महिलाओं को प्रेरित किया, वह उनकी असली विरासत है।

प्रोफेसर गोडबोले को श्रद्धांजलि देते हुए हम यही कह सकते हैं कि उन्होंने जो काम किया है, वह हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनकी अद्वितीय यात्रा और उनके अमूल्य योगदान को हम सभी नमन करते हैं।

Leave a Comment