कनाडा द्वारा अमित शाह पर लगाया गया गंभीर आरोप: खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ अभियान का आरोप

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By ry132222@gmail.com

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार कनाडा द्वारा लगाए हैं भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नया मोड़ आया है।

कनाडा के डेप्युटी फॉरेन अफेयर्स मिनिस्टर डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को कनाडा की संसद के नेशनल सिक्योरिटी कमेटी के सदस्यों को जानकारी दी कि भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कथित तौर पर कनाडा में सिख अलगाववादियों को पहचान करने के लिए हिंसा, धमकी और खुफिया जानकारी एकत्रित करने का अभियान चलाने के आदेश दिए थे।

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार कनाडा द्वारा लगाए हैं भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नया मोड़ आया है।
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द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट:

कनाडाई अधिकारी डेविड मॉरिसन ने संसद को बताया कि उन्होंने द वॉशिंगटन पोस्ट को यह पुष्टि की थी कि गृह मंत्री अमित शाह का नाम इन आरोपों में शामिल है। द वॉशिंगटन पोस्ट ने सबसे पहले इन आरोपों को रिपोर्ट किया था, जिसमें दावा किया गया कि शाह ने कनाडा में सिख अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था।

कनाडा का आरोप: क्या कहा गया है?

कनाडा द्वारा लगाए गए आरोप,  अमित शाह ने कनाडा के अंदर सिख अलगाववादियों को लक्षित करने के लिए एक विशेष अभियान की योजना बनाई थी। इस अभियान में कथित तौर पर हिंसा, धमकियों और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने जैसी गतिविधियां शामिल थीं।

कनाडा ने आरोप लगाया कि इस अभियान का उद्देश्य उन लोगों को निशाना बनाना था जो कनाडा में खालिस्तानी आंदोलन का समर्थन करते हैं और भारत से अलग होकर खालिस्तान नामक एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र की मांग करते हैं।

भारत-कनाडा संबंधों पर गहरा असर

कनाडा द्वारा लगाए गए इस नए आरोप के बाद भारत और कनाडा के बीच पहले से चल रही तनावपूर्ण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। दोनों देशों के बीच खालिस्तानी मुद्दा एक संवेदनशील मामला रहा है, जिसे लेकर पहले भी Diplomat विवाद हो चुके हैं।

कनाडा द्वारा लगाए गए इस नए आरोप के बाद भारत और कनाडा के बीच पहले से चल रही तनावपूर्ण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। दोनों देशों के बीच खालिस्तानी मुद्दा एक संवेदनशील मामला रहा है,
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भारत ने हमेशा खालिस्तानी आंदोलन का कड़ा विरोध किया है और कनाडा से इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई की मांग की है। वहीं, कनाडा ने इस मुद्दे को अपने आंतरिक मामलों के रूप में देखा है और सिख समुदाय के प्रति अपना समर्थन बनाए रखा है।

भारत का रुख: आरोपों का खंडन

कनाडा द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इससे पहले भी जब कनाडा ने इसी प्रकार के आरोप लगाए थे, तब भारत ने उन्हें पूरी तरह निराधार और राजनीतिक करार दिया था।

भारत का कहना रहा है कि खालिस्तानी अलगाववादी केवल एक छोटा गुट है, जो कनाडा में बैठकर भारत के खिलाफ गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करता है। भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी तरह की हिंसा या अवैध गतिविधियों का समर्थन नहीं करता है।

राजनीतिक विश्लेषण: आरोपों के पीछे क्या है?

कई राजनीतिक विश्लेषक इस मुद्दे को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कनाडा द्वारा इस समय ऐसे गंभीर आरोप क्यों लगाए हैं? कुछ का मानना है कि यह कनाडा की आंतरिक राजनीति में सिख समुदाय के प्रति समर्थन बनाए रखने की कोशिश हो सकती है, क्योंकि कनाडा में सिख समुदाय एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है।

दूसरी ओर, भारत में भी इन आरोपों के राजनीतिक मायने देखे जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि भारत पर इस तरह के आरोप लगाने से कनाडा और भारत के बीच बढ़ती कूटनीतिक दूरी और राजनीतिक असहमति का ही संकेत मिलता है।

सिख अलगाववाद: एक पुराना विवाद

सिख अलगाववाद का मुद्दा 1980 के दशक से ही एक संवेदनशील और विवादास्पद विषय रहा है। खालिस्तानी आंदोलन के समर्थक पंजाब से एक अलग सिख राष्ट्र की मांग करते रहे हैं। हालांकि, भारतीय सरकार ने हमेशा इस आंदोलन को एक आतंकी गतिविधि माना है और इसे देश की अखंडता के लिए खतरा बताया है।

सिख अलगाववाद का मुद्दा 1980 के दशक से ही एक संवेदनशील और विवादास्पद विषय रहा है। खालिस्तानी आंदोलन के समर्थक पंजाब से एक अलग सिख राष्ट्र की मांग करते रहे हैं। हालांकि, भारतीय सरकार ने हमेशा इस आंदोलन को एक आतंकी गतिविधि माना है और इसे देश की अखंडता के लिए खतरा बताया है।
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कनाडा में सिखों की एक बड़ी आबादी है और कुछ लोग खालिस्तानी आंदोलन के प्रति सहानुभूति रखते हैं। इस मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच कई बार तनाव उत्पन्न हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर असर

इस नए आरोप के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश अपने कूटनीतिक रिश्तों को कैसे संभालते हैं। पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों के बीच इस तरह के आरोप आने से दोनों देशों के बीच राजनयिक संवाद और भी कठिन हो सकता है।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि कनाडा द्वारा लगाए गए इस तरह के आरोप भारत और कनाडा के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। इससे पहले भी दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर तनाव देखने को मिला है, लेकिन इस बार का मामला थोड़ा ज्यादा संवेदनशील है, क्योंकि इसमें सीधे-सीधे एक वरिष्ठ भारतीय मंत्री का नाम लिया गया है।

निष्कर्ष

कनाडा द्वारा लगाए गए ये नए आरोप भारत के लिए एक राजनयिक चुनौती बन सकते हैं। हालांकि, भारत की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संबंधों की दिशा स्पष्ट हो सकती है।

इस मामले ने न केवल भारत-कनाडा संबंधों पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक नया राजनयिक विवाद खड़ा कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और कनाडा इस मामले को कूटनीतिक ढंग से कैसे संभालते हैं और क्या कोई सुलह का रास्ता निकलता है या नहीं।

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