Chhath Puja 2024: सूर्य उपासना का महापर्व और इसके विशेष महत्व

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By ry132222@gmail.com

Chhath Puja 2024: भारत में कई त्योहार हैं जो अपनी पारंपरिक मान्यताओं और धार्मिक श्रद्धा से जुड़े हुए हैं। उनमें से एक है छठ पूजा, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मैइया की आराधना कर उन्हें समर्पित किया जाता है। छठ पूजा चार दिनों का एक अनुष्ठानिक पर्व है, जिसमें श्रद्धालु उपवास रखते हैं और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करतें हैं। साल 2024 में, छठ पूजा 5 नवंबर से शुरू होकर 8 नवंबर तक मनाई जाएगी। इस ब्लॉग में हम छठ पूजा की पूरी जानकारी, पूजा विधि, और इसका महत्व विस्तार से बताएंगे।

Chhath Puja 2024: भारत में कई त्योहार हैं जो अपनी पारंपरिक मान्यताओं और धार्मिक श्रद्धा से जुड़े हुए हैं
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छठ पूजा 2024 की तिथियां और समय

साल 2024 में छठ पूजा की तिथियां इस प्रकार हैं:

  • 05 नवंबर 2024 – नहाय-खाय
  • 06 नवंबर 2024 – खरना
  • 07 नवंबर 2024 – संध्या अर्घ्य (शाम 5:31 बजे)
  • 08 नवंबर 2024 – उषा अर्घ्य (सुबह 6:38 बजे)

Chhath Puja दिवाली के छठे दिन से शुरू होती है और यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाई जाती है। इस पर्व का समापन उषा अर्घ्य के साथ होता है, जहां भक्त सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित कर पर्व का समापन करते हैं।

कौन हैं छठी मैइया ?

छठी मैइया को हिंदू धर्म में माता शक्ति के एक रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि छठी मैइया हमारे संतानों की रक्षा करती हैं और संतान प्राप्ति के लिए विशेष रूप से पूजी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैइया का संबंध भगवान सूर्य की बहन से है, और इसलिए सूर्य की आराधना में उन्हें भी पूजनीय माना जाता है। Chhath Puja के में छठी मैइया को प्रसाद और अर्घ्य अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना की जाती है।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ?

Chhath Puja सूर्य देव और छठी मैइया की आराधना का पर्व है। इस पूजा के महत्व को समझने के लिए पौराणिक कथाओं को समझना आवश्यक है। एक कथा के अनुसार, महाभारत काल में द्रौपदी और पांडवों ने छठ पूजा की थी जिससे उन्हें अपने कठिन समय से निकलने में मदद मिली थी। दूसरी कथा के अनुसार, सूर्य पुत्र कर्ण भी सूर्य की उपासना में लीन रहते थे और उन्हीं की कृपा से वे महान योद्धा बने।

Chhath Puja 2024: भारत में कई त्योहार हैं जो अपनी पारंपरिक मान्यताओं और धार्मिक श्रद्धा से जुड़े हुए हैं
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सूर्य देवता को ऊर्जा और जीवन शक्ति का स्रोत माना जाता है। छठ पूजा के माध्यम से भक्त सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा उनपर बनी रहे ये कामना करते हैं।

छठ पूजा के चार दिनों का महत्व

नहाय-खाय (5 नवंबर 2024)

Chhath Puja के पहले दिन को नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर अपने मन और तन को सुद्ध करने का संकल्प लेते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। इस दिन का महत्व है शरीर और आत्मा की शुद्धि, जिससे आने वाले दिनों में उपवास रखा जा सके।

खरना (6 नवंबर 2024)

Chhath Puja पूजा का दूसरा दिन होता है, जिसमें दिनभर उपवास रखा जाता है। शाम को व्रत करने वाले लोग विशेष प्रसाद जैसे गुड़ की खीर, रोटी, और फल का सेवन करते हैं। इसके बाद, व्रत का संकल्प लेकर अगले 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू होता है।

संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024)

तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य कहते हैं। इस दिन भक्त सूर्यास्त के समय पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह अर्घ्य एक विशेष विधि से दिया जाता है जिसमें डूबते सूर्य को जल चढ़ाकर उनकी उपासना की जाती है। इस अनुष्ठान के दौरान पूरा वातावरण भक्ति से भर जाता है, जहां भक्त पारंपरिक गीत गाते हैं।

उषा अर्घ्य (8 नवंबर 2024)

Chhath Puja का चौथा और अंतिम दिन उषा अर्घ्य होता है। इस दिन श्रद्धालु उगते सूर्य को जल चढ़ाते हैं। इसे उषा अर्घ्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सूर्योदय के समय दिया जाता है। इसके बाद व्रत करने वालों का कठिन उपवास समाप्त होता है और पूजा ख़तम होने के बाद वे पारंपरिक प्रसाद का वितरण करते हैं।

छठ पूजा के दौरान महत्वपूर्ण बातें

  • साफ-सफाई: Chhath Puja में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रत करने वालों के कपड़े, पूजा का स्थान और प्रसाद सब कुछ शुद्ध होना चाहिए।
  • प्रसाद: छठ पूजा में प्रसाद विशेष महत्व रखता है। इसमें ठेकुआ, खीर, फल, और नारियल शामिल होते हैं। प्रसाद बनाने में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  • भक्ति और समर्पण: छठ पूजा एक कठिन त्यौहार होता है, जिसे भक्ति और श्रद्धा से किया जाता है। व्रत करने वाले लोग पूरी निष्ठा से बिना जल ग्रहण किए अर्घ्य देते हैं।
    छठ पूजा के आराधना स्थल
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Chhath Puja आमतौर पर नदी, तालाब या किसी जलाशय के किनारे की जाती है। यह परंपरा इसलिए है क्योंकि जल और सूर्य का संबंध इस पर्व में प्रमुख है। लोग खुले आसमान के नीचे, पानी में खड़े होकर अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह एकता और भक्ति का प्रतीक है, जहां पूरा समाज एकत्र होकर सभी भक्ति में विलीन होकर पूजा करता है।

छठ पूजा के गीत और संस्कृति

Chhath Puja के दौरान पारंपरिक लोकगीतों का विशेष महत्व होता है।शारदा सिन्हा जो बिहार की लोकगाईका हैं बिशेस रूप से वो देश से लेकर विदेश तक छठ गीत के लिए फेमस है और उनकी गीत हर जगह सुनने को मिल जायेगी, उनके गीत में इतनी ताक़त है की उनकी गीत सुनने के बाद हर कोई भक्तिमय हो जाता है। ये गीत छठी मैइया और सूर्य देवता की महिमा गाते हैं और श्रद्धालुओं की भक्ति को दर्शाते हैं। ऐसे गीतों से माहौल और भी भक्ति मय हो जाता है। कुछ प्रमुख गीत हैं “कांच ही बांस के बहंगिया” और “उग हो सूरज देव” जो हर छठ व्रती के दिल और भक्तिमय हो जाता हैं।

निष्कर्ष

Chhath Puja न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों को दर्शाने का अनोखा त्यौहार भी है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि समर्पण, त्याग और भक्ति के द्वारा हम प्रकृति और ईश्वर के प्रति किस तरीके से हम अपना आभार व्यक्त कर सकते हैं। साल 2024 में 5 नवंबर से शुरू होने वाले इस पवित्र पर्व में भाग लेकर आप भी सूर्य देवता और छठी मैइया की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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